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ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक के ख़िलाफ़ अभद्र ट्वीट करने वाले को दिल्ली पुलिस की क्लीन चिट

 26 Apr 2024

फैक्ट न्यूज़ की जाँच करने वाला ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर के ख़िलाफ़ अभद्र टिप्पणी करने वाले जगदीश सिंह को दिल्ली पुलिस ने जाँच में क्लीन चिट दे दी है। पुलिस ने कोर्ट को बताया कि जगदीश के साथ पूछताछ में उन्हें ऐसा कुछ नहीं मिला जो समाज़ में शांति को भंग करता हो।


ट्वीट करने वाले के ख़िलाफ़ कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला - दिल्ली पुलिस

ऑल्ट न्यूज़ के सह संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर के खिलाफ जिस व्यक्ति ने अभद्र टिप्पणी की थी, उसपर दिल्ली पुलिस ने कोई मामला दर्ज नहीं किया है। पुलिस ने कोर्ट को बताया है कि उन्होंने टिप्पणी करने वाले व्यक्ति से पूछताछ की लेकिन ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिसके आधार पर  मामला दर्ज  किया जा सके।

दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार, मोहम्मद ज़ुबैर के खिलाफ़ अभद्र टिप्पणी करने वाले जगदीश सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट किया था कि ‘एक जिहादी हमेशा जिहादी रहता है’, जिसके बाद पुलिस ने जगदीश को पूछताछ करने के लिए थाने में बुलाया था। पूछताछ के बाद पुलिस का कहना है कि जब जगदीश से उनके आपत्तिजनक पोस्ट के बारे में पूछा गया था तो पुलिस को कुछ भी ऐसा नहीं पता चला जो ‘आपत्तिजनक’ हो।  मामले में जांच करने जैसा कुछ नहीं है, इसलिए पुलिस ने कोर्ट से माँग की है कि जगदीश के ख़िलाफ़ की जाने वाली कार्रवाई को बंद कर दिये जाने का आदेश दे दिया जाये।

पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जगदीश के ट्वीट से जनता में कोई भय या चिंता का माहौल नहीं बना है, ऐसे में कोई भी दूसरा पक्ष नज़र नहीं आ रहा जिसे जगदीश पर आगे की कार्रवाई की जाये।



कैसे शुरू हुआ पूरा मामला

दिल्ली पुलिस ने साल 2020 में मोहम्मद ज़ुबैर पर उनके एक ट्वीट के आधार पर एक लड़की को धमकाने और प्रताड़ित करने की शिक़ायत दर्ज़ की थी। पुलिस ने यह शिक़ायत राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की शिक़ायत के आधार पर दर्ज़ किया था। पुलिस ने ज़ुबैर के ख़िलाफ़ जो शिक़ायत दर्ज़ की उसमें यौन अपराधों से बाल संरक्षण यानी POCSO और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धाराओं को शामिल किया गया था।

ज़ुबैर ने अपने ख़िलाफ़ दर्ज़ शिक़ायत को ख़ारिज करवाने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया। ज़ुबैर ने शिकायतकर्ता एनसीपीसीआर अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो और एक अन्य व्यक्ति के ख़िलाफ़ कार्रवाई की माँग की थी। जनवरी 2023 में, पुलिस ने अदालत को बताया कि उसे ज़ुबैर के ख़िलाफ़ कोई पुख़्ता सबूत नहीं मिला जिसके कारण ज़ुबैर के नाम को चार्जशीट से भी हटा गया है। तब  एनसीपीसीआर ने ज़ुबैर का नाम चार्जशीट से हटाये जाने का विरोध भी किया था, और पुलिस पर लापरवाही बरते जाने का आरोप भी लगाया था।